“रसादीनां शुक्रन्तानां धातूनां यत् परम् तेजस्तत् खल्वोजस्तदेव बलं इति उच्यते”
7 धातुएँ
- रस
- रक्त
- मांस
- मेद
- अस्थि
- मज्जा
- शुक्र
3 दोष
- वात
- पित्त
- कफ
3 मल
- मूत्र
- पुरीष
- स्वेद
ओज के लक्षण
- मांस की स्थिरता व पुष्टि
- सभी कार्यों को करने का उत्साह
- आवाज और वर्ण में प्रसन्नता (चेहरे का भाव)
- सभी इन्द्रियों का ठीक-ठीक अपने कार्यों में लगे रहना
“न च सर्वाणि शरीराणि व्याधिक्षमत्वे समर्थानि भवन्ति “
3 types of बल
- सहज बल – जन्म से प्राप्त शारीरिक व् मानसिक बल
- कालज बल – ऋतु अनुसार (Seasonal) और अवस्था अनुसार (Age Factor)
- युक्तिकृत बल – आहार, विहार, व औषधि सेवन
ओज क्षय के कारण
- Injury
- धातुक्षय – आहार-विहार
- क्रोध
- शोक
- चिंता
- अत्यधिक शारीरिक परिश्रम
- अनशन (Fasting)
- मदकारक पदार्थ – “बुद्धिं लुम्पति यद्द्रव्यं मदकारी तद् उच्यते”
ओजवर्धक उपाय / पदार्थ
- मानसिक प्रसन्नता (Mental Positivity)
- मधुर-स्निग्ध-शीत-लघु आहार
- दूध
- रसायन औषधियां – आंवला, गिलोय, हरीतकी